Tuesday, July 15, 2014

My lifeeeee

Tum mile to her khushi pa li humne, aisa laga jaise dusri zindagi pa li humne. Zindagi men tha jis manjil ka besabri se intzaar, tum mile to laga wo manjil bhi pa li humne.


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teri khamoshi men bhi lafzon ko dhoondhti hun,
teri band aankhon men bhi khud ko dhoondhti hun.
mahobbat kerte ho tum bhi mujhse beinthaan ,
fir bhi tere her lafz men khud ke liye mahobbat dhoondhti hun

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kahan se laun hunor use manane  ka, 
koi jawab hi nahi uske ruth jaane ka. 
mahobbat men saja bhi mujh ko milni thi , 
jab julm maine kiya unhe satane ka


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दूर है वो आसमान पर तब भि उसे छूने कि चाहत है
दूर है वो चाँद पर तब भि उसकी चॉंदनी कि चॉंदनी कि चमक है
सोंचते हैं के क्यों केरते हैँ बेइन्तहां महोब्बत तुझसे,
तू कितना अलग है मुझसे पर तब भी तुझे और चाहने कि चाहत क्यों है।



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पूछती है शम्मा परवाने से के तु मुझसे इतनि महोब्बत करता क्योँ है।
करता है महोब्बत तो मुझमे मिलकर जलता क्योँ  है।
इल्जाम दुनिया लगाती है मुझ पर तुझे सताने का।
तेरा तो नाम होत है पेर मुझे बदनाम करता क्योँ  है।

परवाना कहता है के जलती तो तू भी  है दुनीया को रोशन केरने के लिये ,
फिर मुझसे ये सवाल करती क्योँ  है।
ये महोब्बत चीज़ हि ऐसी है मेरी  जान,
कोई मार के बतलाता है और कोइ मर  के  .............


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सोचा ना था के इतनी शिद्दत से चाहूंगी तुझे कभी ,
सोचा ना था के इतनी शिद्दत से सजदा करूंगी तेरा कभी।
तू साथ है तो लगता है के हीर गुम से अजाद हुँ मै।
सोचा ना था के तेरे आगोश में खुद को इतना महफूज पाऊंगी कभी।


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तेरी बाहोँ मेन जन्नत क गुमान होत है ,
उस समय ना जाने ये वक़्त कहाँ होता है।
लगता है ऐसे जैसे खुद मेहरबान है हम प्र ,
जब तू हम पर मेहरबान होता है।


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4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 07 मई 2016 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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