Tuesday, January 18, 2011

हाथों को हाथों को छूटते हुए देखा है आज.

दिल टूटता हुआ किसी का हमने देखा है आज,
अश्कों को दिल में सिमटते हुए किसी को  हमने देखा है आज.
आज जाना क बेवफाई क्या चीज़ है ,
जब किसी को बेवफाई करते हुए देखा है आज.
वो बेवफा जिसने की बेवफाई उसके साथ,
उसी बेवफा क लिए तेरेस्ते हुए उसे देखा है आज.
वादा किया था उस ने हमेशा साथ निभाने का,
पर उन्ही वादों को टूटते हुए हमने देखा है आज.
हाथों  को हाथों  को  छूटते  हुए देखा है आज.

तुझे हर गली , हर नगर ढूंढते हैं

तुझे  हर  गली  , हर  नगर ढूंढते  हैं
कुछ  नहीं हासिल , मगर ढूंढते हैं
जहाँ  जख्मी होकर गिर पड़े थे परिंदे
वहां जाकर अब अपने पर ढूंढते हैं
तुझे हर गली , हर नगर ढूंढते हैं
जरा उनकी दीवानगी तो देखिये
जो सहराओं में अपने घर ढूंढते हैं
यहाँ रेगिस्तान है कांच और पत्रों का
हम इसमें हीरे और मोती ढूंढते हैं
तुझे हर गली , हर नगर ढूंढते हैं