तुझे हर गली , हर नगर ढूंढते हैं
कुछ नहीं हासिल , मगर ढूंढते हैं
जहाँ जख्मी होकर गिर पड़े थे परिंदे
वहां जाकर अब अपने पर ढूंढते हैं
तुझे हर गली , हर नगर ढूंढते हैं
जरा उनकी दीवानगी तो देखिये
जो सहराओं में अपने घर ढूंढते हैं
यहाँ रेगिस्तान है कांच और पत्रों का
हम इसमें हीरे और मोती ढूंढते हैं
तुझे हर गली , हर नगर ढूंढते हैं
तुझे हर गली , हर नगर ढूंढते हैं
ReplyDeleteकुछ नहीं हासिल , मगर ढूंढते हैं
Too good!
तुझे हर गली , हर नगर ढूंढते हैं
ReplyDeleteकुछ नहीं हासिल , मगर ढूंढते हैं
Too good!